व्यापार युद्ध, संरक्षणवाद, वैश्वीकरण क्या है?

यहां प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले अर्थव्यवस्था विषय अंतर्गत आने वाले व्यापार युद्ध, व्यापार संरक्षणवाद व वैश्वीकरण क्या है?- परिभाषा और उदाहरण सहित (Trade War, Trade Protectionism and Globalization in Hindi) के बारे में जानकारी दी गई है।

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Trade War Protectionism Globalization in Hindi

व्यापार युद्ध (Trade War in Hindi) – जब दो या दो से अधिक देशों के द्वारा दूसरे देश की वस्तु पर अधिक टैरिफ लगाया जाता है, तो इसे व्यापार युद्ध (Trade War) कहते है।

अर्थव्यवस्था में व्यापार संरक्षणवाद और वैश्वीकरण क्या है? चलिए विस्तार से जानते है:-

व्यापार संरक्षणवाद क्या है? – जब किसी देश के द्वारा वैश्विक व्यापार (Global trade) को बढ़ावा न देकर अपने घरेलू उत्पाद/व्यापार को बढ़ावा तथा प्राथमिकता देता है, तो इसे व्यापार संरक्षणवाद (Trade Protectionism) कहते है।

वैश्वीकरण क्या है? – जब किसी देश या देशों के द्वारा घरेलू व्यापार (Domestic Trade) के बजाए विश्व व्यापार को प्राथमिकता दी जाती है, तो इसे वैश्वीकरण (Globalization in Hindi) की संज्ञा दी जाती है।

Globalization (वैश्वीकरण) को वैश्वीकरण स्तर पर लाने के लिए विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization (WTO) की स्थापना की गई। WTO की स्थापना 1 जुलाई 1995 को की गई।

विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय (Headquarter) जेनेवा (स्वीट्जरलैण्ड) में है।

वैश्वीकरण के लाभ (Benefits of Globalization in Hindi) निम्न है-

  • वैश्वीकरण के द्वारा एक देश में बनी वस्तु को दूसरे देश में ले जाया जाता है। जिससे कि दो देशों को आंतरिक संबंध मजबूत होता है।
  • वैश्वीकरण (Globalization) के कारण उस देश के लोगों के द्वारा उन सभी वस्तुओं या पदार्थो का उपभोग किया जाता है, जिनकी उस देश में मात्रा कम है या पूर्णतः नहीं है।
  • किसी देश के व्यक्ति के द्वारा अन्य देश में जाकर अपनी सेवा दी जाती है। जिससे कि गरीबी कम होती है। जैसे- डाॅक्टर, इंजीनियर, मजदूर इत्यादि।
  • यदि किसी देश में आवश्यकता से अधिक उत्पादन होता है तो वह अपने उत्पादों को अन्य देश में ले जाकर बेचता है। जिससे कि उसे धन की प्राप्ति होती है।

परन्तु हाल ही में कोविड-19 (Corona Virus) जैसी वैश्विक महामारी (Global Epidemic) के चलते बहुत से देशों के द्वारा वैश्वीकरण की नीति (Policy of Globalization) का त्याग करके व्यापार संरक्षणवाद की नीति (Trade Protectionism Policy) को अपनाया जा रहा है। विकसित तथा विकासशील सभी देशों के द्वारा अपने देश के व्यापार को प्राथमिकता दी जा रही है।

अमेरिका जैसे विकसित देश जो कि शुरूआत में वैश्वीकरण (Globalization) को महत्ता देते थे तथा इनके विश्व व्यापार संगठन (WTO) की स्थापना की गई थी। उनके द्वारा भी व्यापार संरक्षणवाद (Trade Protectionism) तथा व्यापार युद्ध (Trade War) को बढ़ावा दिया जा रहा है।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा हमेशा से ही अमेरिका प्रथम की नीति (US First Policy) अपनाई गई और कोविड-19 वैश्विक महामारी (Corona Virus Epidemic) के दौरान इसे व्यापक तौर पर अपनाया गया।

इस नीति (US Policy) को अपनाने के लिये उनके विभिन्न कार्य किये गये। जैसे – 

  • अमेरिका प्रथम की नीति।
  • चीन के साथ व्यापार युद्ध। चीन के द्वारा आने वाले सामान पर अधिक टैरिफ लगाना जिससे कि उनका सामान अमेरिका में महंगा होना। 
  • भारत को जेनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफरेंस (GSP) से बाहर निकालना, जिसके तहत भारत उत्पादों को अमेरिका में कर मुक्त (ड्यूटी फ्री) एंट्री दी जाती है। जिससे की भारत के उत्पाद (Indian Products) अमेरिका में सस्ते हो जाते है।
  • अपने पड़ोसी देशों तथा मित्र देशों के साथ भी संबंधों को उचित रूप से न लेना। 
  • WTO से बाहर निकलना। इसके साथ ही विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) जैसी स्वास्थ्य संगठन (Health Organization) से भी बाहर निकलना।

इस प्रकार की नीति (US Trade Policy) अमेरिका के द्वारा अपनाई गई है जो कि व्यापार युद्ध (Trade War) तथा व्यापार संरक्षणवाद (Trade Protectionism) का पर्याय है। 

भारत सरकार के द्वारा भी व्यापार संरक्षणवाद की नीति (India’s Trade Policy Protectionism) अपनाई जा रही है। जैसे-

  • भारत में आने वाले सामान पर उच्च टैरिफ लगाना।
  • विदेशों से आने वाले सामान पर भारत के द्वारा उच्च रूप से प्रतिबंधित किया जाता है।
  • चाइना (China) के सामान को भारत में प्रतिबंधित किया गया। यहां तक कि चीन के एप्प को भी बंद (China App Banned) कर दिया गया। जैसे – TikTok, CamScanner
  • क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP)। जिसमें कि 10 आसियान (ASEAN) का पूरा नाम- Association of Southeast Asian Nations के सदस्य + 5 अन्य देश शामिल है, में से बाहर निकलना।
  • ‘लोकल फॉर वोकल’ की अवधारणा लाये। जो कि घरेलू उत्पाद (GDP) को प्राथमिकता प्रदान करता है।
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान 1.0, 2.0, 3.0 को लागू करना।
  • घरेलू उत्पादों (Gross Domestic Product ‘GDP’) को बढ़ावा देना।

व्यापार संरक्षणवाद (Trade Protectionism) भारत के लिए उचित नीति नहीं (Wrong Trade Policy) है। जिसके निम्न कारण हैः-

  • भारत, विश्व में सर्वाधिक रेमिडिज प्राप्त करने वाला देश है। क्यों कि विश्व में सबसे अधिक भारतीय बाहर जाकर अपनी सेवाएं देते हैं और रेमिडिज भेजते है। यदि ‘व्यापार संरक्षणवाद की नीति’ अपनाते है, तो इस रेमिडिज में भारी कमी आ सकती है।
  • भारतीय उत्पाद (Indian Product) यदि बाहर जाकर बेचे नहीं जाएंगे, तो भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) पर इसका कुप्रभाव पड़ सकता है।
  • भारत भी बहुत से उत्पाद जैसे कि पेट्रोलियम, खनिज तथा कोयला जैसे उत्पादों का निर्यात करता है। उनकी भारी कमी आ सकती है।
  • वैश्विक स्तर पर व्यापार संरक्षणवाद की नीति (Trade Protectionism Policy) अपनाई जाने पर व्यापार युद्ध (Trade War) की स्थिति और भी सुदृढ़ हो जाएगी।
  • वैश्विक सहाद्रता (Global Harmony) में कमी आ जाएगी।

भारत सरकार के द्वारा भारतीय किसानों को सब्सिडी (Indian Farmers Subsidy) प्रदान की जानी चाहिए, जिससे कि भारतीय किसानों के उत्पाद स्वयं ही सस्ते हो जाएंगे।

  • भारत के द्वारा रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) को फिर से ज्वाइ कर लेना चाहिए।
  • भारतीय छोटे-छोटे उद्यमों को भी सब्सिडी तथा विकसित होने के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।
  • विश्व व्यापार संगठन (WTO) के द्वारा वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
  • विकसित देश जैसे कि अमेरिका, फ्रांस, यूके जैसे देशों को वैश्विक अध्यक्ष (Global President) के रूप में कार्य किया जाना चाहिए और सभी देशों को आगे बढ़ने के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।
  • भारत को भी वैश्विक स्तर (Global Scale) पर आगे आना चाहिए और अपनी सही भूमिका निभानी चाहिए।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद-51 (Article 51) में अंतर्राष्ट्रीय शांति पर बल भी दिया गया है।
  • चीन (China) जैसे- देश को भी व्यापार युद्ध (US-China Trade War) को समाप्त करके वैश्वीकरण (Globalization) को आगे बढ़ाना चाहिए।
  • इस प्रकार हम कह सकते है कि व्यापार युद्ध व्यापार संरक्षणवाद (Trade War Trade Protectionism) का एक सबसेट है, जिसे नियत्रित किया जाना आवश्यक है।

निष्कर्ष – व्यापार युद्ध (Trade War in Hindi) अंतर्गत भारत को नीति ‘सबका साथ-सबका विकास’ जैसी नीति का अनुसरण किया जाना चाहिए।

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