यहां विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं SSC CGL, Railway RRB NTPC, Bank PO में पूछे जाने वाले भौतिक शास्त्र के भौतिक राशियों के मात्रक पद्धतियाँ एवं मापन यंत्र (SI Units System List and Measurement) के बारे में जानकारी दी गई है।
जैसे- भौतिक राशियों के परिमाणात्मक ज्ञान को ‘मापन’ कहते हैं अर्थात् भौतिकी के विभिन्न नियमों या समीकरणों को सिद्ध करने के लिए उसमें प्रयुक्त भौतिक राशियों के मापन की आवश्यकता होती है। पूर्णतः परिभाषित विभिन्न मात्रकों के समूह को ‘पद्धति’ कहते हैं।
भौतिक राशियों के मात्रक एवं उनके मापन यंत्र
(Physical Quantities SI Units System Measurement)
विषय
- भौतिक राशियों के मात्रक एवं उनके मापन यंत्र (Physical Quantities SI Units System Measurement)
- मात्रक (Unit)
- मापन पद्धतियाँ (Measurement System)
- S.I. पद्धति में प्रयुक्त राशियों के मात्रक (Unit of Quantities Used in SI Units List System)
- विभिन्न पद्धतियों में भौतिक राशियों के मात्रक (SI Units List Table)
- भौतिक राशियों मापन के विभिन्न यंत्र (Different Instrument of Measurement)

मात्रक (Unit)
मात्रक एक निश्चित परिमाण (Magnitude) की एक राशि होती है जिसकी सहायता से उसी प्रकार की अन्य भौतिक राशियों का मापन किया जा सकता है। मात्रकों की आवृत्ति (अर्थात् उस भौतिक राशि में मात्रक कितनी बार शामिल है) उस भौतिक राशि के संपूर्ण मापन को व्यक्त करता है।
किसी भौतिक राशि के मापन के लिए निम्न 02 (दो) बिन्दु आवश्यक होती है-
1. मात्रक (Unit) – जिसमें एक भौतिक राशि मापी गई है।
2. संख्यात्मक मान (Numerical Value) – जो यह दर्शाता है कि वह मात्रक भौतिक राशियों में कितनी बार आया है।
उदाहरण – 1) यदि किसी व्यक्ति का द्रव्यमान 50 किग्रा है अर्थात् द्रव्यमान का मात्रक किग्रा है और यदि इसे 50 बार दोहराया जाये तो उस व्यक्ति का द्रव्यमान ज्ञात हो जायेगा।
2) यदि किसी दुकानदार से हम 2 मीटर कपड़ा मांगते हैं तो वह मीटर स्केल को दो बार कपड़े पर घुमाकर हमें 2 मीटर कपड़ा देगा। इस उदाहरण में संख्यात्मक मान (लंबाई) 2 तथा मात्रक मीटर है।
मापन पद्धतियाँ (Measurement System)
भौतिक राशि के मापन की निम्न 04 (चार) पद्धतियाँ होती है-
सेन्टीमीटर-ग्राम-सेकण्ड पद्धति (CGS System)
इस पद्धति में लंबाई का मात्रक सेन्टीमीटर, द्रव्यमान का मात्रक ग्राम तथा समय का मात्रक सेकण्ड होता है। इसे CGS पद्धति (CGS system) भी कहते है।
मीटर-किलोग्राम-सेकण्ड पद्धति (MKS System)
इस पद्धति में लंबाई का मात्रक मीटर, द्रव्यमान का मात्रक किलोग्राम तथा समय का मात्रक सेकण्ड होता है। इसे MKS पद्धति (MKS system) भी कहते हैं।
फुट-पाउण्ड-सेकण्ड पद्धति (FPS System)
इस पद्धति में लंबाई का मात्रक फुट, द्रव्यमान का मात्रक पाउण्ड तथा समय का मात्रक सेकण्ड होता है। इसे FPS पद्धति (FPS system) भी कहते है। वर्तमान में यह पद्धति प्रचलित नहीं है।
अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक पद्धति (International System of Units or SI System)
इस अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक पद्धति (SI System) में मूल मात्रक तथा 2 उप मात्रक प्रयुक्त होते हैं। SI Units System कहलाते है
S.I. पद्धति में प्रयुक्त राशियों के मात्रक (Unit of Quantities Used in SI Units List System)
प्रमुख भौतिक राशियों की S.I. पद्धति में प्रयुक्त राशियों के मात्रक एवं सांकेतिक चिन्ह की सूची निम्नानुसार है:-
भौतिक राशि (Quantity) | मात्रक (Unit) | संकेत (Symbol) |
---|---|---|
लंबाई (Length) | मीटर (Meter) | m |
द्रव्यमान (Mass) | किलोग्राम (Kilogram) | Kg |
समय (Time) | सेकण्ड (Second) | Sec या S |
विद्युत धारा (Current) | एम्पियर (Ampere) | A |
ताप (Temperature) | केल्विन (Kelvin) | K |
पदार्थ की मात्रा (Amount of Substance) | मोल (Mole) | mol |
ज्योति तीव्रता (Luminous Intensity) | कैण्डेला (Candela) | Cd |
समतल कोण (Plane Angle) | रेडियन (Radian) | Rad |
ठोस कोण (Solid Angle) | स्टेरेडियन (Steradian) | Sr |
नोट- 1. क्रमांक 1 से 7 तक के मात्रक मूल मात्रक एवं 8 व 9 में प्रदर्शित मात्रक उप मात्रक है।
2. M.K.S. तथा S.I. पद्धति (SI Units System) में प्रयुक्त मात्रक एकसमान होते हैं।
विभिन्न पद्धतियों में भौतिक राशियों के मात्रक (SI Units List Table)
विभिन्न पद्धतियों (C.G.S. पद्धति एवं M.K.S. या SI Units System) में भौतिक राशियों के मात्रक की सूची निम्नानुसार है-
भौतिक राशि (Quantity) | CGS पद्धति (System) | MKS या SI Units System |
---|---|---|
लंबाई (Length) | सेन्टीमीटर (cm) | मीटर (m) |
द्रव्यमान (Mass) | ग्राम (gm) | किलोग्राम (kg) |
समय (Time) | सेकण्ड (sec) | सेकण्ड (sec) |
वेग या चाल (Velocity or Speed) | सेमी/सेकण्ड या cm/sec | मी/सेकण्ड (m/sec) |
त्वरण (Acceleration) | सेमी/से या cm/sec2 | मी/सेकण्ड2 (m/sec2) |
दाब (Pressure) | ग्राम-से मीटर-1 सेकण्ड-2 या डाइन/वर्ग सेमी (dyne/cm2) | किग्रा-मी-1 से-2 या न्यूटर/वर्ग मी (N/m2) |
शक्ति (Power) | अर्ग/सेकण्ड (erg/sec) | जूल/से या वाॅट (J/S or Watt) |
बल (Force) | ग्राम x सेमी/से2 (gm x cm/s2) या डाइन (dyne) | किग्रा x मी/से2 या न्यूटन (kg x m/sec2 or Newton) |
कार्य (Work) | डाइन x सेमी (dyne x cm) या अर्ग (erg) | न्यूटर x मीटर (N x m) या जूल (J) |
गतिज ऊर्जा (Kinetic Energy) | ग्राम x सेमी2/से2 (gm x cm2/sec2) | कि x मी2/ से2 |
रेखीय संवेग (Linear Moment) | ग्राम x सेमी/से (gm x cm/sec) | किग्रा x मी/से (kg x m/sec) |
बल आघूर्ण (Torque) | ग्राम x सेमी2/से2 (gm x cm2 x sec2) | किग्रा x मी2/से2 (kg x m2/sec2) |
आवृत्ति (Frequency) | प्रति सेकण्ड (per second) | प्रति सेकण्ड या हर्ट्ज (Hz) |
जड़त्व आघूर्ण (Moment of Inertia) | ग्राम x सेमी2 (gm square cm) | किग्रा x मी2 (kgm2) |
गुप्त ऊष्मा (Latent Heat) | सेमी2/से2 (cm2 x sec2) | मी2/से2 (m2/sec2) |
भौतिक राशियों मापन के विभिन्न यंत्र (Different Instrument of Measurement)
मापन के विभिन्न प्रकार के मापक यंत्र होते हैं-
- मीटर पैमाना (Meter Scale)
- वर्नियर कैलीपर्स (Vernier Calliperse)
- स्क्रूगेज (Screw Gauge)
- स्फेरोमीटर (Spherometer)
- विराम घड़ी (Stop Watch)
- भौतिक तुला (Physical Balance)
मीटर पैमाना (Meter Scale)
यह मीटर स्केल स्टील या लकड़ी की एक आयताकार पट्टी या पैमाना (Scale) होता है जिसकी मोटाई उसकी लंबाई एवं चैड़ाई की तुलना में अत्यंत कम होती है। इसके एक सिरे पर सेमी या मीटर में तथा दूसरे सिरे पर इंच में पैमाना अंकित होता है।
मीटर स्केल सेन्टीमीटर के दसवें भाग अर्थात् 0.1 सेमी तक शुद्ध नाप सकता है अर्थात् मीटर पैमाना का अल्पतमांक 0.1 सेमी होती है।
वर्नियर कैलीपर्स (Vernier Calipers)
फ्रांस के गणितज्ञ पियरे वर्नियर ने मिलीमीटर के 1/10 वें भाग तक की शुद्ध गणना के लिए वर्नियर कैलीपर्स नामक यंत्र को बनाया है।
वर्नियर कैलीपर्स का वर्णन निम्न बिन्दुओं में दी गई है-
वर्नियर कैलीपर्स संरचना (Vernier Calipers Construction)
वर्नियर कैलीपर्स (Vernier Calipers Parts) के निम्न मुख्य भाग होते हैं –
अ- मुख्य स्केल (Main Scale)
यह स्टील का बना होता है जिसके एक सिरे पर सेमी या मिमी में तथा दूसरे सिरे पर इंच में स्केल होता है।
ब- वर्नियर स्केल (Vernier Scale)
इसे मुख्य स्केल के ऊपर दांयी तथा बांयी ओर स्क्रू की सहायता से घुमाया जा सकता है तथा पाठ्यांक लेते समय इसे स्थिर कर दिया जाता है।
स- जबड़े (Jaws)
वर्नियर कैलीपर्स में दो जबड़े (jaws) होते हैं, जिनमें एक स्थिर होता है जबकि दूसरा गतिमान होता है। अवलोकन लेते समय वस्तु को दोनों जबड़ों के मध्य रखते हैं, तो वस्तु की आकृति के अनुसार जबड़ा सरक सकता है तथा उसे स्थिर करके वर्नियर कैलीपर्स का अवलोकन करते हैं।
द- पट्टिका (Strip)
वर्नियर के साथ पट्टिका लगी होती है, जिससे किसी खोखली वस्तु की गहराई ज्ञात की जाती है।
इ- स्क्रू (Screw)
स्क्रू की सहायता से जबड़े को किसी भी दिशा में सरकाया जा सकता है।
वर्नियर कैलीपर्स सिद्धांत (Principle of Vernier Calipers)
मुख्य स्केल के एक भाग का मान S इकाई (मात्रक) तथा वर्नियर स्केल के एक भाग का मान V मात्रक है। मानाकि वर्नियर स्केल के m भागों का मान मुख्य स्केल के (m-1) भाग के तुल्य है। अर्थात् (m-1)S = mV
ई- शून्यांक त्रुटि (Zero Error)
यदि वर्नियर के दोनों जबड़ों को जोड़ने पर मुख्य स्केल का शून्य वर्नियर के शून्य की ठीक सीध में हो, तो वर्नियर कैलीपर्स को मापन के लिए पूर्ण रूपेण शुद्ध माना जाता है
तथा कोई त्रुटि न होने पर इसकी शून्यांक त्रुटि शून्य मानते हैं। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो वर्नियर कैलीपर्स में शून्यांक त्रुटि पायी जाती है। यह शून्यांक त्रुटि दो प्रकार की होती हैं।
i) धनात्मक शून्यांक त्रुटि (Positive Zero Error)
वर्नियर स्केल का शून्य मुख्य स्केल के शून्य के दायीं तरफ होता है, तो इसे धनात्मक शून्यांक त्रुटि कहते हैं। शुद्ध पाठ्यांक के लिए इसे चिन्ह सहित कुल पाठ्यांक में से घटाते हैं।
ii) ऋणात्मक शून्यांक त्रुटि (Negative Zero Error)
वर्नियर स्केल का शून्य मुख्य स्केल के शून्य के बायीं तरफ होता है, तो उसे ऋणात्मक शून्यांक त्रुटि कहते हैं। शुद्ध पाठ्यांक प्राप्त करने के लिए इसे चिन्ह सहित कुल पाठ्यांक से घटाया जाता है।
वर्नियर कैलीपर्स का उपयोग (Uses of Vernier Calipers)
a) वर्नियर कैलीपर्स की सहायता से किसी वस्तु की लंबाई, चौड़ाई तथा मोटाई नापी जाती है।
b) इसकी सहायता से किसी वस्तु की आंतरिक एवं बाह्य व्यास ज्ञात कर सकते हैं।
c) किसी खोखली वस्तु की गहराई नापने के लिए भी वर्नियर कैलीपर्स का उपयोग करते हैं।
स्क्रूगेज (Screw Gauge)
यह पेंच के कार्य सिद्धांत पर आधारित होता है। इसमें एक रेखीय पैमाना होता है, जो स्थिर होता है जिसे मुख्य स्केल कहते हैं तथा दूसरा वृत्तीय स्केल होता है। जिस पर लगे पेंच की सहायता से इसे घुमाया जाता है।
पेंच को एक पूरा चक्कर घुमाने से मुख्य स्केल पर पेंच जितनी दूरी तय करता है उसे पंेच का चूड़ी अंतराल या पिच कहते हैं। किसी मापन यंत्र का अल्पतमांक वह छोटी सी छोटी माप होती है जिसे वह यंत्र शुद्धता से नाप सकता है।
भौतिक तुला (Physical Balance)
भौतिक तुला का सहायता से किसी वस्तु का द्रव्यमान ज्ञात करते हैं। भौतिक तुला के साथ दिये गये बाट बाॅक्स से ग्राम तथा मिलीग्राम के बाट होते हैं। छोटे-से-छोटे दिया गया बाट ही उसे भौतिक तुला का अल्पतमांक (least count) होता है।
स्फेरोमीटर (Spherometer)
यह माइक्रोमीटर स्क्रू के सिद्धांत पर कार्य करता है। इसका उपयोग किसी वक्रीय सतह की वक्रता त्रिज्या तथा पतली प्लेट की मोटाई ज्ञात करने में होता है।
इसमें एक ऊध्र्वाधर स्केल होता है, जिसे मुख्य स्केल कहते हैं तथा इसको स्पर्श करते हूए एक वृत्ताकार डिस्क ऊपर एवं नीचे की ओर पेंच की सहायता से सरकती है। इस पर 100 खाने होते हैं।
वृत्तीय चकती के एक पूर्ण चक्कर लगाने पर पेंच की नोंक जितनी विस्थापित होती है, उसे पिच कहते हैं।
विराम घड़ी (Stop Watch)
समय के मापन के लिए विराम घड़ी का उपयोग किया जाता है। इसमें सेकण्ड की सुई द्वारा एक पूर्ण चक्कर लगाने में 1 मिनट (=60 सेकण्ड) लगता है। विराम घड़ी के वृत्ताकार पैमाने पर कुल 120 खाने होते हैं।
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क्या है? भौतिक राशियाँ (अदिश एवं सदिश)
# SI Units System List
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Thanks
That’s good study and good gaiedness