आप इस पोस्ट में आप नाटो (NATO) संगठन के बारे में जानेंगे। जहाँ नाटो क्या है? (NATO in Hindi, NATO Kya Hai) और इसके उद्देश्यों, नाटो का पूरा नाम (NATO Full Form in Hindi), नाटो की स्थापना कब हुई?, नाटो सदस्य देश (NATO Members), नाटो मुख्यालय (NATO Headquarter) कहां है?, की सम्पूर्ण जानकारी दी गई है।
नाटो का फुल फॉर्म (NATO Full Form in Hindi) – नाटो का पूरा नाम ‘उत्तर एटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization)’ होता है। नाटो का दूसरा नाम ‘अटलांटिक अलायन्स’ भी है। इसका मुख्य उद्देश्य विश्व में शांति बनाए रखना है। वर्तमान में नाटो के कुल 31 सदस्य देश हैं।
नाटो क्या है? (What is NATO)
विषय:
- नाटो क्या है? (What is NATO)
- नाटो के सदस्य देशों की सूची (NATO Members List)
- नाटो का इतिहास (NATO History)
- नाटो की स्थापना (NATO Established)
- नाटो के उद्देश्य (NATO Purpose)
- नाटो की संरचना (Structure of NATO)
- नाटो के सदस्य देश (NATO Countries)
- नाटो का मुख्यालय (NATO Headquarters)
- नाटो का महासचिव (NATO Secretary General)
- ट्रूमैन सिद्धांत (Truman Doctrine)
- Frequently Asked Question
नाटो (NATO) या उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization), अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस सहित 12 देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय सैन्य संगठन है।
जिसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को वाशिंगटन में किया गया था। इसका मुख्यालय ‘ब्रुसेल्स (बेल्जियम)’ में स्थित है।
NATO संगठन द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पश्चिमी यूरोप की रक्षा के लिए बनाया गया था। जो उत्तरी यूरोप के साथ दक्षिण अमेरिका के बीच संबंधों को मजबूत बनाने रखना इसका मुख्य उद्देश्य है।
पूरा नाम (Full Form) | North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) |
स्थापना | 4 अप्रैल, 1949 |
मुख्यालय | ब्रुसेल्स (बेल्जियम) |
राजभाषा | English (अंग्रेजी), (French) फ्रांसीसी |
सदस्य देश | 31 |
वेबसाइट | https://www.nato.int |
मूल उद्देश्य | सामूहिक रक्षा, संकट-प्रबंधन एवं सहकारी सुरक्षा |
नाटो के सदस्य देशों की सूची (NATO Members List)
नाटो के सदस्य देशों (कुल 31 देश) की सूची (NATO Country List in Hindi)
सदस्य देश | राजधानी | वर्ष |
संयुक्त राज्य अमेरिका (United States) | वाशिंगटन डीसी | 24 अगस्त 1949 |
यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) | लंदन | 24 अगस्त 1949 |
बेल्जियम (Belgium) | ब्रसेल्स | 24 अगस्त 1949 |
कनाडा (Canada) | ओटावा | 24 अगस्त 1949 |
डेनमार्क (Denmark) | कोपेनहेगन | 24 अगस्त 1949 |
फ्रांस (France) | पेरिस | 24 अगस्त 1949 |
आइसलैंड (Iceland) | रेक्जाविक | 24 अगस्त 1949 |
इटली (Italy) | रोम | 24 अगस्त 1949 |
लक्समबर्ग (Luxembourg) | लक्समबर्ग | 24 अगस्त 1949 |
नीदरलैंड्स (Netherlands) | एम्स्टर्डम | 24 अगस्त 1949 |
नॉर्वे (Norway) | ओस्लो | 24 अगस्त 1949 |
पुर्तगाल (Portugal) | लिस्बन | 24 अगस्त 1949 |
ग्रीस (Greece) | एथेंस | 18 फरवरी 1952 |
तुर्की (Turkiye) | अंकारा | 18 फरवरी 1952 |
जर्मनी (Germany) | बर्लिन | 6 मई 1955 |
स्पेन (Spain) | मैड्रिड | 30 मई 1982 |
चेक गणराज्य (Czech Republic) | प्राहा | 12 मार्च 1999 |
हंगरी (Hungary) | बुडापेस्ट | 12 मार्च 1999 |
पोलैंड (Poland) | वारसा | 12 मार्च 1999 |
एस्टोनिया (Estonia) | तेलिन | 29 मार्च 2004 |
बुल्गारिया (Bulgaria) | सोफिया | 29 मार्च 2004 |
लातविया (Latvia) | रीगा | 29 मार्च 2004 |
लिथुआनिया (Lithuania) | विनियस | 29 मार्च 2004 |
रोमानिया (Romania) | बुकुरेस्टी | 29 मार्च 2004 |
स्लोवाकिया (Slovakia) | ब्रैटिस्लावा | 29 मार्च 2004 |
स्लोवेनिया (Slovenia) | लजुब्लजाना | 29 मार्च 2004 |
अल्बानिया (Albania) | तिराना | 1 अप्रैल 2009 |
क्रोएशिया (Croatia) | ज़गरेब | 1 अप्रैल 2009 |
मोंटेनेग्रो (Montenegro) | पॉडगोरिका | 5 जून 2017 |
उत्तर मैसेडोनिया (North Macedonia) | स्कोप्जे | 27 मार्च 2020 |
फिनलैंड (Finland) | हेलसिंकी | 4 अप्रैल 2023 |
नाटो का इतिहास (NATO History)
वर्ष 1945 में, द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद, सोवियत संघ (USSR) और संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) एक महाशक्ति देश बन गए।
जिसके कारण संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और सोवियत संघ (USSR) के बीच बिगड़ते संबंधों के कारण ‘शीत युद्ध’ हो सकता है।
सोवियत संघ (USSR) ने साम्यवाद के प्रसार के माध्यम से यूरोप में अपने प्रभाव का विस्तार करने की मांग की।
जिससे यूरोप के लिए संभावित खतरे की संभावना बढ़ गई, जबकि अमेरिका ने USSR की साम्यवाद विचारधारा को खतरे के रूप में देखा।
उस समय अगर सोवियत संघ (USSR) तुर्की पर विजय प्राप्त कर लेता तो, उसका नियंत्रण काला सागर पर भी हो जाता।
इसके लाभ के रूप में वह आसपास के सभी देशों पर साम्यवाद की स्थापना कर सकता था। इसके साथ ही वह ग्रीस को भी अपने नियंत्रण में ले लेना चाहता था।
इसलिए नाटो के गठन की आवश्यकता महसूस की गयी थी। जिसको देखते हुए ही फ्रांस, ब्रिटेन, नीदरलैंड, बेल्जियम, लक्जमबर्ग देशों ने एक संधि की। इस संधि को ‘ब्रुसेल्स की संधि’ कहते हैं।
नाटो की स्थापना (NATO Established)
संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे ज्यादा शक्तिशाली देश बनाने के लिए सोवियत संघ (USSR) की घेराबंदी करने लगा, जिससे उसका प्रभाव खत्म किया जा सके।
इसलिए अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 के तहत ‘उत्तरी अटलांटिक संधि’ (NATO) के एक प्रस्ताव की पेशकश की।
इस संधि के तहत 1949 को दुनिया के 12 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, बेल्जियम, आइसलैंड, लक्जमबर्ग, फ्रांस, कनाडा, इटली और डेनमार्क देश शामिल थे।
इसके अनुसार यह निश्चित किया गया कि किसी भी देश पर अगर हमला होता है, तो यह सभी देश एक दूसरे को सामूहिक रूप से सैनिक सहायता एवं सामाजिक आर्थिक तौर पर भी यह एक दूसरे का सहयोग करेंगे।
इसके अलावा शीत युद्ध से पहले स्पेन, पश्चिमी जर्मनी, तुर्की और यूनान ने भी इसकी सदस्यता ली थी। बाद में, जब शीत युद्ध समाप्त हुआ तो हंगरी, पोलैंड और चेक गणराज्य भी इसमें शामिल हो गए।
इस प्रकार, पुन: 2004 में 7 और देशों ने इसकी सदस्यता ग्रहण की और वर्तमान में अब इसके 31 सदस्य है।
नाटो के उद्देश्य (NATO Purpose)
नाटो (NATO) के मुख्य उद्देश्य है- ‘संयुक्त रक्षा’। देशों के बीच सैन्य सहयोग व रक्षा समझौतों के माध्यम से दुनिया में सुरक्षा तथा स्थायित्व बढ़ाना है।
NATO (नाटो) के सदस्य देश एक दूसरे के साथ सामाजिक, आर्थिक और रक्षा संबंधों को स्थायी बनाने के लिए सहयोग करते हैं।
जिसमे नाटो के सदस्य देशों के बीच संयुक्त समझौते और अभ्यास होते हैं, जो उन्हें सुरक्षा के कार्यों में अधिक सक्षम बनाने में मदद करते हैं।
संगठन के प्रमुख उद्देश्य सदस्य देशों को सुरक्षा और रक्षा की सुविधा प्रदान करना है। इसके लिए नाटो के सदस्य देशों ने एक अनुबंध बनाया है, जो उन्हें एक दूसरे का साथ देने और अगर कोई सदस्य देश अगर किसी सुरक्षा विषय में पीछे हटता है, तो उसके समझौतों को भंग करना माना जाता है।
नाटो की संरचना (Structure of NATO)
संगठन में कई अन्य सदस्य देशों के आधार पर चलाया जाता है। नाटो की संरचना तीन स्तरों पर होती है – सामंजस्य स्तर, निष्पक्ष स्तर और कार्यकारी स्तर।
सामंजस्य स्तर पर – नाटो में सभी सदस्य देशों के राजनयिक निर्णय लिए जाते हैं।
निष्पक्ष स्तर पर – सदस्य देशों के बीच समझौतों और निर्णयों का फैसला किया जाता है।
कार्यकारी स्तर पर – नाटो के द्वारा उठाए गए निर्णयों के लिए अनुशंसा दी जाती हैं और इन निर्णयों के प्रति जवाबदेही सदस्य देशों को होती है।
नाटो (NATO) का मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है, जो चार अंगो (परिषद, उप परिषद, प्रतिरक्षा समिति, सैनिक समिति) से मिलकर बना है।
परिषद (Council)
- यह नाटो का सबसे मुख्य और सर्वोच्च अंग है।
- इसकी बैठक वर्ष में एक बार होती है।
- देशों के रक्षा नीति और रक्षा संबंधी मुद्दों पर निर्णय लेता है।
- इसका मुख्य उद्देश्य नाटो समझौते की मुख्य धाराओं को लागू करना है।
- यह संगठन के सदस्य देशों के बीच संविधान और नीतियों पर चर्चा करता है।
उप परिषद (Deputy Council)
- नाटो उप परिषद की स्थापना 1966 में की गई थी।
- यह नाटो देशों की कूटनीतिक प्रतिनिधियों की परिषद है।
- यह सामान्य हितों वाले विषयों पर विचार करते हैं।
- संगठन के सदस्य देशों के बीच तालमेल बनाए रखना है।
- यह संगठन को सशक्त बनाने में मदद किया।
प्रतिरक्षा समिति (Defense Committee)
- संगठन के मध्य रक्षा संबंधी नीतियों को तैयार करना है।
- नाटो सदस्य देशों के बीच रक्षा विषयों पर विचार-विमर्श करना।
- इसमें नाटो देशों के प्रतिरक्षा मंत्री शामिल होते हैं।
- इसका मुख्य उद्देश्य प्रतिरक्षा विषयों पर विचार विमर्श करना है।
सैनिक समिति (Military Committee)
- यह सदस्य देशों के सेनाध्यक्ष से मिलकर बनी होती है।
- सैन्य रणनीतियों, रणनीति निर्धारण, संयुक्त अभ्यास, अभियान योजनाएं, संयुक्त सैन्य अभियान बनाना।
- इसका प्रमुख कार्य परिषद और प्रतिरक्षा समिति को सलाह देना है।
नाटो के सदस्य देश (NATO Countries)
नाटो (NATO) संगठन में अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 15 के तहत अमेरिका समेत 12 मूल संस्थापक सदस्य देश शामिल है।
जिसमें 1952 और 1955 में, तीन सदस्य देश (ग्रीस, तुर्की व जर्मनी) और 1982 में, एक नया चौथा देश (स्पेन) शामिल हुआ।
नाटो ने बाद में 1999 से 2023 तक 15 सदस्य देश और शामिल किये। वर्तमान 2023 में नाटो ने ‘फ़िनलैंड’ (Finland) को 31 सदस्य बनाया है।
अब नाटो (NATO) में 31 सदस्य देश है, जिनमें 02 ‘उत्तर अमेरिकी देश’ और 29 ‘यूरोपीय देश’ है।
नाटो का मुख्यालय (NATO Headquarters)
नाटो का मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ‘ब्रसेल्स’ में स्थित है। यहां प्रशासनिक और राजनीतिक फैसले लिए जाते है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य संयुक्त राष्ट्रों के साथ मिलकर उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
इस संगठन के द्वारा राष्ट्रों को एक साथ लाकर उनकी सुरक्षा तंत्र को मजबूत बनाया जाता है।
इसके अलावा, नाटो के मुख्यालय में बैठे लोग सभी सदस्य देशों के बीच संचार को बढ़ावा देते हैं और सुरक्षा के मुद्दों पर आम जनता को जागरूक करते है।
नाटो का महासचिव (NATO Secretary General)
महासचिव, नाटो संगठन के सभी सदस्य देशों के राजनैतिक नेताओं के सामने एक महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है, जो नाटो संगठन की सभी गतिविधियों और नीतियों का प्रबंधन करता है।
महासचिव नाटो के संगठन के सदस्य देशों के मध्य तालमेल बनाए रखने में अहम रोल निभाता है।
वह संगठन की संरचना को व्यवस्थित करता है और उसकी सार्थकता को सुनिश्चित करता है।
नाटो महासचिव उन सभी नीतियों को समझता है, जो इस संगठन की सुरक्षा के लिए बनाई गई होती हैं।
महासचिव नाटो संगठन को सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नाटो देशो ने प्रथम महासचिव का चुनाव ‘4 अप्रैल 1952’ को किया। ‘लार्ड हेस्टिंग (यूनाइटेड किंगडम)’ नाटो के पहले महासचिव बने थे।
नॉर्वे के पूर्व प्रधानमंत्री ‘जेन्स स्टोल्टेनबर्ग’ (Jens Stoltenberg) नाटो महासचिव हैं, जिन्होंने 1 अक्टूबर 2014 को अपना पदाभार संभाला।
ट्रूमैन सिद्धांत (Truman Doctrine)
यह शीतयुद्ध के समय सोवियत संघ के विस्तार को रोकने के लिए बनाई अमेरिकी नीति है। इसे ‘ट्रूमैन सिद्धांत’ के नाम से जाना जाता है।
जो अमेरिकी राष्ट्रपति ‘हैरी एस ट्रुमैन’ द्वारा प्रस्तावित की गई थी।ट्रूमैन सिद्वान्त को अमेरिकी संसद ने 1947 में स्वीकार किया था।
इस नीति का मुख्य उद्देश्य अमेरिका, रूस और उसके समर्थक देशों से युद्ध हेतु उन देशों की आर्थिक सहायता करेगा, जो सोवियत संघ के प्रभाव एवं रूस के साम्राज्यवाद से बचना और अपना लोकतंत्र को बचाना चाहते हैं।
यह नीति भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, इराक और इरान जैसे देशों पर भी प्रभाव डाला। ‘ट्रूमैन सिद्वान्त’ अमेरिकी विदेश नीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है, जो अमेरिका के ‘विदेशी नीति’ बनाती है।
यह नीति अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने और अमेरिकी साम्राज्यवाद के विस्तार में मदद करती है।
इस नीति के अंतर्गत अमेरिका ने दुनिया भर में अपने साथी देशों के लिए रक्षा संबंधी और वित्तीय सहायता जैसी अनेक सुविधाएं प्रदान करती है।
Frequently Asked Question
नाटो (NATO) या उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (North Atlantic Treaty Organization), अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और फ्रांस सहित 12 देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय सैन्य संगठन है। जिसकी स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को वाशिंगटन में किया गया था।
नाटो (NATO) की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को वाशिंगटन में किया गया था। इसका मुख्यालय ‘ब्रुसेल्स (बेल्जियम)’ में स्थित है।
वर्तमान 2023 में नाटो ने फ़िनलैंड (Finland) को 31 सदस्य बनाया है। अब नाटो (NATO) में 31 सदस्य देश हैं, जिनमें दो उत्तर अमेरिकी देश और 29 यूरोपीय देश है।
नाटो के मुख्य उद्देश्य ‘संयुक्त रक्षा’ हैं। देशों के बीच सैन्य सहयोग व रक्षा समझौतों के माध्यम से दुनिया में सुरक्षा तथा स्थायित्व बढ़ाना है।
नहीं, भारत NATO का सदस्य नहीं है। NATO (North Atlantic Treaty Organization) एक रक्षा संगठन है जिसमें उत्तर अटलांटिक क्षेत्र में स्थित अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय देश शामिल हैं। भारत एशिया में स्थित है।
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