महात्मा गांधी की जीवनी एवं आंदोलन

यहां प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले महात्मा गांधी एवं उनके भारत के स्वतंत्रता संग्राम सहयोगी आंदोलन- महात्मा गांधी निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) लघु जीवनी, भारत की स्वतंत्रता संग्राम इतिहास की भूमिका, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन जीके, महात्मा गांधी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम इतिहास की जानकारी दी गई है।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi

महात्मा गांधी के जीवन परिचय, जीवनी (Mahatma Gandhi Biography) एवं उनके स्वतंत्र संग्राम आंदोलन (Role of India’s Freedom Fights, Indian Independence Movement, Mahatma Gandhi Essay in Hindi) संबंधी जानकारी/ निबंध (200 शब्द) इस प्रकार है:-

महात्मा गाँधी का जीवन परिचय की जानकारी | Important Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

पूरा नाममोहनदास करमचन्द्र गाँधी
जन्मतिथि02 अक्टूबर 1869 (पश्चिम भारत स्थित गुजरात राज्य के पोरबंदर शहर में)
पिताकरमचन्द्र गाँधी (पंसारी जाति)
मातापुतलीबाई (वैश्य समुदास)
पत्नीकस्तूरबा गाँधी (बा)
बेटाहरिलाल, मणिलाल, रामदास एवं देवदास
शिक्षालंदन स्थित युनिवर्सिटी काॅलेज
विख्यतीभारतीय स्वतंत्रता संग्राम
पत्रिकानवजीवन, हरिजन (Harijan), यंग इंडिया (Young India) , इंडियन ओपिनियन
पुस्तकेंएक आत्मकथा (An Autobiography) या सत्य के साथ मेरे प्रयोग (My Experiments with Truth), हिन्द स्वराज या इंडियन होम रूल (Indian Home Rule), अन्टू दिस लास्ट (Unto This Last)
मृत्युहत्या, नई दिल्ली 30 जनवरी 1948 (नाथू राम गोडसे) द्वारा
  • मोहन दास करमचन्द्र गाँधी का 13 साल की उम्र में ही पोरबंदर के व्यापारी गोकुलदास मकनजी के तीसरी संतान कस्तूरबा गांधी मकनजी (जन्म: 11 अप्रैल 1869) से हुआ। जिन्हें विवाह पश्चात् भारत में ‘बा‘ के नाम से विख्यात/पुकारा/जाना जाता था।
  • महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पालनकत्र्ता व स्वयं चरखे से बनी सूत कातकर परम्परागत भारतीय पोशाक धोती एवं शाल पहन सदगीपूर्ण जीवन व्यतीत करते थे। प्रतिदिन करीब 18 कि.मी. पैदल चलते थे, यानी चिन्दगी भर जितना चले उसमें पृथ्वी  के दो चक्कर लग जाते।
  • 05 बार नोबेल शांति पुरस्कार (Nobel Peace Prize) के लिये नामित किया गया।
  • 04 महाद्वीप, 12 मुल्को में नागरिक अधिकारों से जुड़े आन्दोलनों (प्रमुख दक्षिण अफ्रिका: भारतीय जाति भेदभाव) का श्रेय महात्मा गांधी जी को जाता है।
  • ब्रिटेन ने उनकी मृत्यु के 21 वर्ष पश्चात् उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया गया था।

महात्मा गांधी जी द्वारा सत्याग्रह, आंदोलन का नाम एवं उनमे उनकी भागीदारी संबंधी (प्रश्न-उत्तर)

  • उस समय किसानों को एक अनुबंध 3/20 वें (20 कट्ठा में 03 कट्ठा) भाग पर नील की खेती करने के लिये बाध्य किया गया, इसे ‘तीनकठिया पद्धति‘ कहते हैं।
  • किसान इससे छुटकारा चाहते थे, इसके लिये राजकुमार शुक्ल ने गांधी जी को आमंत्रित किया। तब गांधी जी ने सत्याग्रह शुरू किया, सरकार झुकी जांच के आयोग का गठन किया गया तथा इस पद्धति को समाप्त कर वसूली का 25 प्रतिशत हिस्सा किसानों को वापस किया गया।
  • गांधी जी के कुशल नेतृत्व से प्रभावित होकर रविन्द्र नाथ टैगोर ने उन्हें ‘Mahatma‘ की उपाधि दी।

प्रारम्भ: सत्याग्रह की प्रेरणा गांधी जी ने ‘‘Henry David Thoreau‘‘ के निबंध ‘‘डिसओबिडीएन्स (Disobedience)‘‘ से ली थी।

  • गांधी जी ने सत्याग्रह का प्रथम उपयोग दक्षिण अफ्रीका में किया था।
  • 09 जनवरी, 1915 गांधी जी दक्षिण अफ्रिका से भारत आये। राजनीतिक गुरू: गांधी जी के गुरू गोपाल कृष्ण गोखले थे। भारत में प्रथम सत्याग्रह : चम्पारण (बिहार)
  • गोखले जी की सलाह पर (1915-1916) 02 वर्ष गांधी जी ने भारत भ्रमण किया।
  • उसके बाद 1917-1918 के बीच तीन प्रारम्भिक आन्दोलनों का नेतृत्व किया। 
  • चम्पारण सत्याग्रह के आगे आंदोलन
  • सन 1918 ई. में गुजरात के खेड़ा जिले में भीषण अकाल पड़ा था। इसके बावजूद इसके सरकार ने मालगुजारी प्रक्रिया बन्द नहीं की। अपितु 23 प्रतिशत और वसूली बढ़ा दिया। जबकि राजस्व व्यवस्था के अनुसार यदि फसल का उत्पादन कुल उत्पादन के 1/4 से कम हो, तो किसानों का कर्ज पूरी तरह से माफ कर देना चाहिए।
  • इस पर गांधी जी ने घोषणा किया, कि यदि सरकार गरीब किसानों का कर्ज माफ कर दे, तो सक्षम किसान स्वयं कर दे देंगे। 
  • सरकार ने गुप्त रूप से अपने अधिकारियों से कहा कि जो किसान सक्षम है, उन्हीं से कर लिया जाये। 
  • यह आंदोलन भारतीय कपड़ा मिल मालिकों के विरोध में था। यहां पर मजदूरों के बोरस को लेकर गांधी जी ने भूख हड़ताल करने को कहा तथा स्वयं भी भूख हड़ताल की। यह उनकी पहली भूख हड़ताल थी।
  • इसके फलस्वरूप मिल मालिक समक्षौते को तैयार हो गये। इस मामले को एक ट्रिब्यूनल को सौंपा गया, जिसने मजदूरों का पक्ष लेते हुए 35 प्रतिशत बोनस देने का फैसल सुनाया गया।

रोलेट बिल, जलियावाला बाग के फलस्वरूप अखिल भारतीय खिलाफत कमेटी के खिलाफत आन्दोलन का संगठन किया। गांधी जी के प्रभाव से खिलाफत तथा असहयोग आन्दोलन एकमत हो गये ।

  • उद्देश्य: तुर्की में खलीफा के पद की पुनः स्थापना करने के लिये अंग्रेजों पर दबाव बनाना।
  • खिलाफत पद की समाप्ति: राष्ट्रीयतावादी मुस्तफा कमाल ने 03 मार्च 1924 को समाप्त कर दिया।
  • कारण: गांधी जी धर्म के उपरी आवरण को दरकिनार करते हुए हिन्दू मुश्लिम एकता के आधार पर पहचाना उनके बीच आपसी झगड़ा था, लेकिन सभ्यता मूलक एकता भी थी।

श्री चिमनलाल सीतलवाड़ के अनुसार ‘वायसराय लार्ड राडिंग‘ कुर्सी पर हताश बैठ गया और अपने दोनों सिर थामकर फूट पड़ा‘‘ इस आंदोलन ने ब्रिटिश राज्य की जड़ों पर प्रहार किया।

  • द्देश्य:  ब्रिटिश भारत की राजनीतिक आर्थिक तथा सामाजिक संस्था का बहिष्कार करना और शासन की मशीनरी को बिल्कुल ठप करना।
  • आरम्भ: सन् 1920 में राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन से।
  • सरकारी उपाधियां, वैज्ञानिक तथा अवैतनिक पदों का त्याग।
  • सरकारी उत्सवों अथवा दरबारों में सम्मिलित न होना।
  • सन् 1919 के अधिनियम के अंतर्गत होने वाले चुनावों का बहिष्कार।
  • सरकारी एवं अर्द्धसरकारी स्कूलों का त्याग।
  • सरकारी अदालतों का बहिष्कार
  • विदेशी माल का बहिष्कार
  • गांधी जी ने कहा था आन्दोलन पूरी तरह अहिंसक होना चाहिए, किन्तु फरवरी 1922 में चौरी-चौरा काण्ड (Chauri Chaura Scandal) की वजह से इसे स्थगित किया गया था।
  • चौरी-चौरा, उत्तरप्रदेश में (04 फरवरी 1922) गोरखपुर के पास एक कस्बा है। यहां 04 फरवरी 1922 में भारतीय आन्दोलनकारियों ने ब्रिटिश सरकार के एक पुलिस चौकी को आग लगा दी, जिससे उसमें छूपे हुए 22 पुलिसकर्मी जिन्दा जल कर मारे गये। इस घटना को ‘चौरी-चौरा काण्ड’ के नाम से जाना जाता है।

महात्मा गांधी के आंदोलन, सत्याग्रह एवं सम्मेलन

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