इस लेख में आपको जीव विज्ञान के अंतर्गत एक स्वस्थ्य मानव शरीर (Human Body) में मौजूद रक्त समूहों की जानकारी एवं उनके प्रकार (Human Blood Groups: RBC, WBC and Platelets) बतायी गई है।
साथ ही, रक्त समूहों का निर्माण, रक्त संरचना, रक्त खोज, एवं शरीर में रक्त थक्का जमने (Blood Clotting) संबंधी कारण एवं रक्त निर्माण कार्य की महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है-
Human Blood -RBC, WBC, Blood Group & Platelets (लाल/श्वेत रक्त कण, रक्त थक्का, रक्त समूह)
मानव रक्त (Human Blood)
मानव रक्त संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी इस प्रकार है | Important Human Blood Gk in Hindi
- रक्त एक प्रकार का तरल संयोजी उत्तक (Fluid Connective Tissue) होता है।
- मानव शरीर के कुल भार के 07 प्रतिशत मात्रा में रक्त उसके शरीर में मौजूद होता है।
- सम्पूर्ण शरीर में रक्त का परिसंचरण (Blood Circulation) हृदय (Heart) करता है।
- पीएच मान (pH Value) मानव 7.4 रक्त को एक क्षारीय विलियन (Alkaline Solutions) बनाता है।
- मनुष्य के शरीर में रक्त की मात्रा शरीर के भार का लगभग 07 प्रतिशत होता है।
- एक मनुष्य के शरीर में लगभग 05-06 लीटर रक्त रहता है।
- पूरे शरीर में एक बार रक्त संचरण (Blood Circulation) में लगभग 23 सेकेण्ड का समय लगता है।
- रक्त समूह (Blood Group) की खोज सन् 1901 में लैण्ड स्टीनर (Karl Landsteiner) ने किया था।
- मनुष्य में चार (A, B, AB, O) रक्त समूह पाया जाता है।
- रक्त समूह O सर्वदाता (Universal Blood Donor) कहलाता है।
- रक्त समूह AB सर्वग्राही (Universal Blood Recipient) होता है।
- एक स्वस्थ्य मनुष्य का रक्तदाब (Blood Pressure) पारे पर 120/80 mm होता है।
- श्वसन में शर्करा (Glucose) का आक्सीकरण होता है।
- मानव शरीर में होने वाली क्रियाओं का नियमन (Regulation) और नियंत्रण (Control) तंत्रिका तंत्र (Nervous System) द्वारा होता है।
- एक वयस्क मनुष्य में रक्त की औसत मात्रा 05-06 लीटर होता है। महिलाओं में पुरूषों के मुकाबले 1/2 लीटर रक्त कम होता है।
- रक्त का मृत तरल भाग प्लाज्मा (Plasma) कहलाता है, यह रक्त का लगभग 60 प्रतिशत होता है।
- प्लाज्मा (Plasma) का 90 प्रतिशत भाग जल (Water), 07 प्रतिशत प्रोटीन (Protein), 0.9 प्रतिशत लवण (Salt) तथा 0.1 प्रतिशत भाग ग्लूकोज (Glucose) होता है।
- पचे हुए भोजन एवं हार्मोन का शरीर में संवहन प्लाज्मा का मुख्य कार्य है।
- जब प्लाज्मा से फाइब्रिनोजेन (Fibrinogen) अलग कर दिया जाता है तो शेष बचा हुआ भाग सेरम (Serum) कहलाता है।
- रक्त के 40 प्रतिशत भाग में रूधिकाणु (Blood Corpuscles) पाये जाते हैं, जो कि तीन (03) प्रकारों में – लाल रक्त कण (Red Blood Cell), श्वेत रक्त कण (White Blood Cell), एवं रक्त बिंबाणु (Blood Platelets) में विभक्त हैं ।
लाल रक्त कण क्या है? (Red Blood Cells ‘RBC’)
मानव रक्त के लाल रक्त कण (RBC) संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी | Important Red Blood Cell (RBC) in Hindi
- सामान्य अवस्था में आरबीसी (RBC) अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में तथा भ्रूण अवस्था में यकृत (Liver) में निर्मित होता है।
- आरबीसी (Rec Blood Cell) का जीवनकाल 20 से 120 दिन तक होता है। इसकी मृत्यु यकृत में होती है, अतः यकृत को आर.बी.सी. (RBC) का कब्र कहा जाता है।
- आरबीसी में हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) पाया जाता है, जिसमें लौह-युक्त रंजक (Pigment): हीम (Heme) होता है। इसके कारण रक्त का रंग (Blood Color) लाल (Red) होता है।
- हीम (Heme) में विद्यमान लौह युक्त यौगिक हीमैटिन (Himatin) कहलाता है।
- आरबीसी शरीर की सभी कोशिकाओं में ऑक्सीजन (O2) पहूँचाने तथा वहाँ से कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) निकालने का कार्य करता है।
- हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) की अल्प मात्रा रहने पर रक्त क्षीणता (Anaemia) रोग हो जाता है।
- निंद्रा की स्थिति में आर.बी.सी. में 5 प्रतिशत की कमी आती है तथा 4200 मीटर की ऊँचाई तक जाने पर आरबीसी में 30 प्रतिशत की वृद्धि होती है।
- लाल रक्त कण गोलाकार केन्द्र रहित तथा हीमोग्लोबिन युक्त रक्त कण है।
- डीएनएन (DNA) का डबल हेलिक्स माॅडल वाटसन एवं क्रिक (Watson and Crick) ने बनाया था।
- लाल रक्त कण (RBC) का जीवन काल 120 दिन का होता है।
- लाल रक्त कण (RBC) का मुख्य कार्य ऑक्सीजन और कार्बन डाईआक्साइड का संवहन करना है।
श्वेत रक्त कण क्या है? (White Blood Cells ‘WBC’)
मानव रक्त के श्वेत रक्त कण (WBC) संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी | Important White Blood Cell (WBC) in Hindi
- श्वेत रक्त कण (WBC) का निर्माण अस्थिमज्जा, लिम्फ नोड (Lymph Node) तथा कभी-कभी यकृत (Liver) एवं प्लीहा (Spleen) में होता है।
- डब्ल्यूबीसी का आकार एवं संरचना अमीबा (Ameba) की तरह होता है।
- डब्ल्यूबीसी का जीवनकाल 01 से 04 दिन होता है तथा यह रक्त में ही समाप्त हो जाता है।
- WBC में केन्द्रक (Nucleus) पाया जाता है, WBC का मुख्य कार्य शरीर की रोगों के संक्रमण से रक्षा करना है।
- RBC (आरबीसी) एवं WBC (डब्ल्यूबीसी) की उपस्थिति का अनुपात 600:1 होता है।
- मानव शरीर में डब्ल्यूबीसी (WBC) का जीवनकाल 01-04 दिन का होता है।
रक्त बिम्बाणु क्या है? (Blood Platelets Or Thrombocytes)
मानव रक्त के रक्त बिम्बाणु (Blood Platelets) संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी | Important Blood Platelets (Thrombocytes) in Hindi
- रक्त बिम्बाणु (Blood Platelets) का निर्माण भी अस्थि-मज्जा (Bone Marrow) में ही होता है। इसमें भी ‘केन्द्रक (Nucleus)‘ अनुपस्थित रहता है।
- मानव रक्त बिम्बाणु का जीवनकाल 03 से 05 दिन का होता है, इसकी मृत्यु प्लीहा में होती है।
- रक्त बिम्बाणु (Blood Platelets) का मुख्य कार्य रक्त का थक्का (Clotting of Blood) बनाने में मदद करना है।
- शरीर के ताप को नियंत्रित करना, घावों को भरना, रक्त थक्का बनाना, पचे हुये भोजन उत्सर्जी पदार्थ तथा हारमोनों का संवहन करना आदि रक्त के कार्य हैं।
रक्त थक्का क्या है? (Clotting of Blood)
मानव रक्त के रक्त थक्का (Blood Clotting) संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी | Important Blood Clotting of Human Blood in Hindi
- रक्त का थक्का निर्माण तीन (03) चरणों में सम्पन्न होता है-
Step 1. | थ्रोम्बोप्लास्टिन + प्रोथ्रोम्बिन + कैल्शियम | थ्रोम्बिन |
Step 2. | थ्रोम्बिन + फाइब्रिनोजेन | फाइबरीन |
Step 3. | फाइबरीन + रक्त रूधिराणु | रक्त का थक्का |
- प्रोथ्रोम्बिन (Prothrombin) तथा फाइब्रिनोजेन (Fibrinogen) का निर्माण ‘यकृत‘ में विटामिन-K (Vitamin K) की उपस्थिति में होता है।
- रक्त थक्का (Blood Clotting) बनाने के लिये अनिवार्य प्रोटीन ‘फाइब्रिनोजेन (Fibrinogen)‘ है, थक्का बनाने में 02 से 05 मिनट का समय लगता है।
रक्त समूह क्या है? (Blood Group)
मानव रक्त के रक्त समूह (Blood Group) संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी | Important Blood Group of Human Blood in Hindi
- कार्ल लैंडस्टाइनर ने 1900 ई. में रक्त समूह (Blood Group) की खोज की तथा इसके लिये उन्हें 1930 ई. में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) से सम्मानित किया गया था।
- मनुष्यों में रक्तों में भिन्नता आरबीसी (RBC) में पाये जाने वाले ग्लाइको प्रोटीन (Glycoprotein) के कारण होती है।
- उपर्युक्त प्रोटीन को एण्टीजेन (Antigen) कहते हैं, ये दो प्रकार के होतें हैं – एण्टीजेन-A एवं एण्टीजेन-B
- मनुष्य में एण्टीजेन के आधार पर चार प्रकार के रक्त समूह पाये जाते हैं –
रक्त समूह | एंटीजेन का नाम |
A Group | एंटीजेन- A |
B Group | एंटीजेन- B |
AB Group | एंटीजेन- A एवं B दोनों |
O Group | कोई एंटीजेन नहीं |
- किसी एंटीजेन (Antigen) की अनुपस्थिति में रूधिर प्लाज्मा में पाया जाने वाला विपरीत प्रकार का प्रोटीन एंटीबाॅडी (Antibody) कहलाता है।
- एंटीबाॅडी-A एवं एंटीबाॅडी-B दो प्रकार के एंटीबाॅडी होते हैं।
- रूधिर के चारों वर्गो के साथ एंटीबाॅडी (Antibody) का वितरण निम्नवत है-
रूधिर वर्ग | एंटीजेन | एंटीबाॅडी |
A | सिर्फ A | सिर्फ A |
B | सिर्फ B | सिर्फ B |
AB | A एवं B दोनों | कोई नहीं |
O | कोई नहीं | A एवं B दोनों |
- आरबीसी (RBC) एवं डब्ल्यूबीसी (WBC) का निर्माण अस्थिमज्जा (Bone Marrow) में होता है।
- प्लीहा (Spleen) को शरीर का रक्त बैंक (Blood Bank) कहा जाता है।wbc and rbc
- श्वेत रक्त कण (WBC) का मुख्य कार्य बाहर से आये रोगाणुओं का हनन (Abuses of Microbes) करना होता है।
> इन्हें भी पढ़ें <
कोशिका क्या है? एवं इसके प्रकार
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