हिंदी व्याकरण (वर्णमाला, स्वर, व्यंजन एवं उनके प्रकार/भेद) सामान्य ज्ञान – Hindi Grammar Questions about Vowels and Consonants Quiz.
हिंदी व्याकरण (वर्णमाला, स्वर, व्यंजन एवं उनके प्रकार)
विषय:
वर्णमाला (Alphabets)
हिंदी व्याकरण के वर्णमाला, स्वर, व्यंजन क्रम इस प्रकार है –
- वाक्य– पूर्ण रूप
- उपवाक्य– वाक्यों से छोटी इकाई ही उपवाक्य कहलाती है।
- पदबंध– उपवाक्य में छोटी इकाई पदबंध कहलाता है।
- पद (शब्द)– पदबंध से छोटी इकाई को पद कहते है।
- अक्षर– पद से छोटी इकाई अक्षर कहलाता है।
ध्वनि या वर्ण
अक्षर से छोटी रूप ध्वनि है। भाषा की सार्थक इकाई वाक्य होती है, जबकि भाषा की सबसे छोटी इकाई ‘ध्वनि या वर्ण’ होती है।
वर्ण (ध्वनि) उच्चारण के आधार पर भाषा की सबसे छोटी इकाई है, जबकि वर्ण लेखन के आधार पर भाषा की सबसे छोटी इकाई है।
वर्ण के खण्ड नहीं किये जा सकते और वर्णो के मेल से अक्षर बनते है, अतः राम शब्द में दो अक्षर राम – रा, म है और इसमें चार वर्ण है – र् + आ + म् + अ
नोट – वर्णो के व्यवस्थित समूहों को वर्णमाला कहते है, उच्चारण के आधार पर वर्णमाला में 45 वर्ण होते है, जिसमें से 10 स्वर और 35 व्यंजन होते है। कहीं-कहीं पर 11 स्वर भी मिलते हैं।
लेखन के आधार पर वर्णमाला में 52 वर्ण होते है, जिसमें से 13 स्वर, 35 व्यंजन व 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं।
वर्णमाला के प्रकार (Type of Alphabets)
हिन्दी व्याकरण में वर्णमाला के प्रकार को 02 भागों में बांटा गया है-
- स्वर (Vowels)
- व्यंजन (Consonants)
स्वर (Vowels)
स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण या बिना किसी बाधा के बोले जाने वाले वर्ण ‘स्वर’ (Vowels) कहलाते है।
उदाहरण – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
स्वर के प्रकार (Type of Vowels)
मात्रा या उच्चारण (समय) के आधार पर स्वर के 03 भेद/ प्रकार होते हैं।
- हास्व स्वर
- दीर्घ स्वर
- प्लुत स्वर
1. हास्व स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में बहुत समय अर्थात् एक मात्रा का समय लगता है।
उदाहरण- अ, इ, उ
2. दीर्घ स्वर – इनके उच्चारण में हास्य स्वर से दुगुना अर्थात् 02 मात्रा का समय लगता है।
उदाहरण- आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ
3. प्लुत स्वर – जिनके उच्चारण में दीर्घ स्वर से अधिक समय लगता है अर्थात् 03 मात्राओं का समय लगता है। इसलिए इसे त्रिमासिक स्वर भी कहते है, इसे तीन ‘‘3‘‘ के रूप में लखते हैं।
उदाहरण- ओउम्
(अ) जीभ के उपयोग के आधार पर
जीभ के उपयोग के आधार पर स्वर के 03 भेद/ प्रकार होते हैं।
- अग्र स्वर
- मध्य स्वर
- पश्च स्वर
1. अग्र स्वर – इसके उच्चारण में जीभ का अगला भाग कार्य करता है।
उदाहरण- इ, ई, ए, ऐ
2. मध्य स्वर – जिनके उच्चारण में जीभ का मध्य वाला भाग कार्य करता है।
उदाहरण- अ
3. पश्च स्वर – जिनके उच्चारण में जीभ का पिछला भाग कार्य करता है।
उदाहरण- आ, उ, ऊ, ओ, औ
(ब) मुख खुलने के आधार पर
मुख खुलने के आधार पर स्वर के 04 भेद/ प्रकार होते हैं।
- विवृत
- अर्ध विवृत
- संवृत
- अर्ध संवृत
1. व्रिवृत– जिनके उच्चारण में मुख पूरा खुलता है।
उदाहरण– आ
2. अर्द्ध व्रिवृत– जिनके उच्चारण में मुख आधा खुलता है
उदाहरण– अ, ऐ, औ
3. संवृत– जिनके उच्चारण में मुख द्वार लगभग बंद रहता है।
4. अर्द्ध संवृत – जिनके उच्चारण में मुख द्वारा लगभग आधा बंद रहता है।
उदाहरण– ए , ओ
(स) होठों के आधार पर
होठों के आधार पर स्वर के 02 भेद/ प्रकार होते हैं।
- अवृतमुखी
- वृतमुखी
1. अवृतमुखी– जिनके उच्चारण में होठ गोलाकार नहीं होते है।
उदाहरण– अ, आ, इ, ई, ए, ऐ
2. वृतमुखी– जिनके उच्चारण में होठ या मुख गोलाकार हो जाता है।
उदाहरण– उ, ऊ, ओ, औ
(द) नाक व मुख से हवा निकलने के आधार पर
नाक व मुख से हवा निकलने के आधार पर स्वर के 02 भेद/ प्रकार होते हैं:-
- निरनुनासिक
- अनुनासिक
1. निरनुनासिक – जिनके उच्चारण में हवा केवल मुख से निकलती है, नाक से नहीं।
उदाहरण– आ, इ, उ
2. अनुनासिक – जिनके उच्चारण में हवा मुख के साथ-साथ नाक से भी निकलती है।
उदाहरण– अं, ँ वाले वर्ण
व्यंजन (Consonants)
स्वर की सहायता से बोले जाने वाले वर्णो को ‘व्यंजन’ (Hindi Consonants) कहते है। व्यंजन के उच्चारण में स्वर की ध्वनि निकलती है।
व्यंजन के 3 प्रकार/भेद होते है:-
- स्पर्शी व्यंजन
- अन्तःस्थ व्यंजन
- ऊष्म व्यंजन
स्पर्शी व्यंजन
वह व्यंजन जो कंठ, होष्ठ, तालू, मूर्धा, दन्त आदि स्थानों के स्पर्श से बोले जाते है। स्पर्शी व्यंजन कहलाता है, इन्हें ‘वर्गीय व्यंजन’ भी कहते है।
उदाहरण– ‘क’ वर्ग, ‘च’ वर्ग, ‘त’ वर्ग इत्यादि।
वर्ग | अक्षर |
‘क’ वर्ग | क, ख, ग, घ, ड़ |
‘च’ वर्ग | च, छ, ज, झ, ञ |
‘ट’ वर्ग | ट, ठ, ड, ठ, ण |
‘त’ वर्ग | त, थ, द, ध, न |
‘प’ वर्ग | प, फ, ब, भ, म |
कष्ठव्य व्यंजन
वह व्यंजन, जो जिनके उच्चारण में केवल कष्ठ या गला का उपयोग होता है या जिनका उच्चारण कष्ठ और निचली से होता है। ‘कष्ठव्य व्यंजन’ कहलाते है।
उदाहरण : क वर्ग: क, ख, ग, घ, ड़
स्वर : अ, आ
तालव्य व्यंजन
वह व्यंजन, जो तालू और जीभ के स्पर्श से बोले जाने वाले व्यंजन जीभ के मोटे वाले भाग और तालू के स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण ‘तालव्य व्यंजन’ कहलाते है।
उदाहरण : च वर्ग: च, छ, ज, झ, ञ
स्वर : इ, ई, य, श
मूर्धन्य व्यंजन
वह व्यंजन, जो मूर्धा और जीभ के स्पर्श से बोले जाने वाले व्यंजन या जीभ के पतले भाग और तालू के अगले भाग के स्पर्श से बोले जाने वाले व्यंजन ‘मूर्धन्य व्यंजन’ कहलाता है।
उदाहरण : ट वर्ग: ट वर्ग: ट, ठ, ड, ठ, ण
स्वर : ऋ, र, ष (लगभग)
दन्तव्य व्यंजन
वह व्यंजन, जो दाँतो के प्रयोग से बोले जाने वाले वर्ण दन्तव्य कहलाते है अर्थात् दाँतो व जीभ के स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण दन्तव्य है।
उदाहरण : प वर्ग: प, फ, ब, भ, म
नोट : वर्गीय व्यंजनों को स्पर्श संघर्षी भी कहते है।
अन्तःस्थ व्यंजन
वह व्यंजन इसके उच्चारण में जीभ, तालू और दाँत, होठ का परस्पर स्पर्श होता है। लेकिन पूर्ण स्पर्श नहीं होता।
उदाहरण : य, र, ल, व
नोट : ‘य’ तथा ‘र’ को अर्थ स्वर भी कहते है। hindi vowels and consonants
ऊष्म व्यंजन
जिन व्यंजनों के उच्चारण में वायु मुख में किसी स्थान विशेष पर घर्णण करती हुई या रगड़ती हुई निकलती है, उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते है।
उदाहरण : श, ष, स, ह
नोट : ‘र’ लुठित व्यंजन कहलाता है और ‘ल’ पाश्र्विक (इसके उच्चारण में वायु जीभ के पास से निकलती है)
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