छत्तीसगढ़ का प्राकृतिक विभाजन, भौगोलिक संरचना

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Geography of Chhattisgarh in Hindi – छत्तीसगढ़ प्रदेश (Chhattisgarh State) भारत के प्रायद्वीपीय पठार (Chhattisgarh Nature Basin Gk) का हिस्सा होने के कारण जलवायु व धरातलीय संरचना के आधार पर प्राकृतिक विशिष्टता की विविधता दिखाई पड़ती है।

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Geography of Chhattisgarh – Physical Division of CG Nature

छत्तीसगढ़ का प्राकृतिक प्रदेश एवं विभाजन | CG Geography of Nature Gk

प्राकृतिक बनावट के आधार पर छत्तीसगढ़ को मूल रूप से 04 (चार) भौगोलिक भागों (Physical Division of CG) में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार है –

  • पूर्वी बघेलखण्ड का पठार या सरगुजा बेसिन (Surguja Basin)
  • जशपुर सामरी पाट प्रदेश (Jashpur Samri Pat Territory)
  • छत्तीसगढ़ का मैदान या महानदी बेसिन (Mahanadi Basin)
  • बस्तर या दण्डकारण्य का पठार (Baster Plateau)

पूर्वी बघेलखण्ड का पठार या सरगुजा बेसिन | Sarguja Basin

यह प्राकृतिक प्रदेश छत्तीसगढ़ के उत्तर ढ़ाल एवं भारत के बघेलखण्ड पठार के पूर्वी क्षेत्र में अवस्थित है, इसका कुल क्षेत्रफल 21,863 वर्ग कि.मी. है, जो राज्य के क्षेत्रफल का 16.16 प्रतिशत है।

  • इसकी भू-गर्भिक बनावट गोंडवानाआर्कियन शैल समूह जैसी है (औसतन ऊंचाई 300-700 मीटर में)।
  • पूर्वी बघेलखण्ड का पठार या सरगुजा बेसिन (Surguja Basin), जिसका विस्तार प्रदेश 06 जिलों कोरबा, बलरामपुर, सरगुजा, सूरजपुर एवं कोरिया में फैला हुआ है (23⁰40‘ उत्तरी अक्षांश से 24⁰35‘ उत्तरी अक्षांश एवं 80⁰5‘ पूर्वी देशान्तर से 83⁰35‘ पूर्वी देशान्तर )।
  • यह महानदी एवं गंगा नदी अपवाह तंत्र के मध्य जल द्विभाजक का कार्य करता है।
  • सरगुजा बेसिन (Surguja Basin) होने के कारण यहाँ वन बाहुल्य के साथ उष्णकटिबंधीय आर्द्र एवं शुष्क पर्णपाती वन पाई जाती है तथा इस बेसिन में लाल पीली मिट्टी एवं काली मिट्टी अधिक्य मात्रा में होने पर प्रमुख फसलें धान, गेहूँ, चना, मक्का, तुअर, उड़द की  पैदावार होती है।
  • इस पठार की देवगढ़ की पहाड़ी, सबसे ऊंची चोटी (ऊंचाई 1033 मीटर) है। माहन, रिहन्द, कन्हार, हसदो, गोपद, एवं सोन बेसिन का भाग अर्थात् बनास, यहाँ बहनी वाली इसकी प्रमुख नदीयां है।
  • कोयला खनिज अधिक्य मात्रा में पाया जाता है। chhattisgarh nature basin gk

इस प्राकृतिक उप विभाजन प्रमुख रूप से बांटा गया है –

>रिहन्द/सिंगरौली बेसिन>कन्हार बेसिन >सरगुजा बेसिन >हसदो रामपुर बेसिन >छुरी उदयपुर की पहाड़ी > देवगढ़ की पहाड़ी

नोट (Note):

  • देवगढ़ की पहाड़ी – हसदेव नदी का उद्गम स्थल है
  • रामगढ़ की पहाड़ी – सीताबेंगरा, जोगीमारा गुफा, लक्ष्मण गुफा है
  • उदयपुर की पहाडी – इससे रिहन्द नदी का उद्गम स्थल है

जशपुर सामरी पाट प्रदेश | Jashpur Samri Pat Territory

जशपुर सामरी पाट प्रदेश (Jashpur Samri Pat Territory) छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तरी पूर्वी एवं छोटा नागपुर के पठार का भाग है। जो छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा प्राकृतिक प्रदेश है।

  • इसका कुल क्षेत्रफल 6,208 वर्ग कि.मी. है, जो राज्य का क्षेत्रफल के 4.59 प्रतिशत है।
  • जिसका विस्तार 22⁰18‘ से 23⁰40‘ उत्तरी अक्षांश एवं 83⁰2‘ से 84⁰20‘ पूर्वी देशान्तर में फैला हुआ है। जशपुर सामरी पाट प्रदेश (Jashpur Samri Pat Territory) क्षेत्रफल के आधार पर यह छोटा प्रदेश एवं ऊचांई के आधार पर प्रदेश का सबसे ऊँचा प्रदेश है।
  • इसका भूगर्भिक बनावट ढक्कन ट्रेप से निर्मित है। ईब, मांड, शंख, एवं कन्हार नदी यहां बहनी वाली नदीयां है।
  • यहाँ प्रमुखतः ढक्कन ट्रेप, आर्कियन, गोंडवाना  कल्प, शैल समूह उपस्थित है। लेटेराइट, जलोढ़, लाल पीली मिट्टी उपजाऊ भूमि होने के साथ धान, मक्का, गेहूं, चना, सरसों की फसलें होती है।
  • यह उष्णकटिबंधीय, अधिक वर्षा, ठण्डा क्षेत्र, मानसूनी जलवायु पाया जाता है। नगर – जशपुर, कुनकुरी, बगीचा, पत्थलगाँव

प्राकृतिक उप विभाजन –

  • जशपुर पाट– राज्य का सबसे बड़ा पाट प्रदेश
  • सामरी पाट– बलरामपुर जिला में, सबसे ऊंचा यही पर छ.ग. की सबसे ऊँची चोटी गौरलाटा स्थित है। जिसकी ऊंचाई 1225 मीटर है।
  • पेण्ड्रा पाट– ईब नदी का उद्गम स्थल है।
  • मैनपाट– सरगुजा में, ऊँचाई 1152 मीटर, मैनपाट मांढ नदी का उद्गम है, मैनपाट को छ.ग. का शिमला कहा जाता है, छ.ग. ‘इको पाइंट (Eco Point)’ भी कहते है, सरभंजा जल प्रपात स्थित है।

छत्तीसगढ़ का मैदान या महानदी बेसिन | Mahanadi Basin

महानदी बेसिन (Mahanadi Basin) को छत्तीसगढ़ का ‘मैदानी प्रदेश’ एवं ‘छ.ग. का हृदय स्थल’ के नाम से जाना जाता है।

  • इस प्रदेश की धरातलीय संरचना मध्य में मैदानी तथा पूर्वी व पश्चिमी सीमा की ओर ऊँचा होने के कारण पृष्ठीय भूमि ‘कटोरे‘ के समान दिखाई पड़ती है, औसतन ऊँचाई 150-400 मी. है।
  • इस महानदी बेसिन का कुल क्षेत्रफल 68064 वर्ग कि.मी. हैं, जो राज्य क्षेत्रफल के 50.34 प्रतिशत है। भूगर्भिक संरचना अवसादी/कड़प्पा शैल से मिश्रित है।
  • यहाँ उपजाऊ भूमि लाल पीली मिट्टी एवं काली मिट्टी होने से धान की पैदावार अधिक होती है, धान, चना, सोयाबीन प्रमुख फसलें है।
  • जिसके तहत इस महानदी बेसिन/मैदान (Mahanadi Basin) को ‘धान का कटोरा‘ कहा जाता है।
  • इस बेसिन का विस्तार मध्य भाग के सभी जिले जैसे- राजनांदगांव, कवर्धा, दुर्ग, रायपुर, धमतरी, महासमुंद, कोरबा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, नारायणपुर में फैला हुआ है (19⁰47‘ से 23⁰07‘ उत्तरी अक्षांश एवं 80⁰17‘ से 83⁰52‘ पूर्वी देशान्तर)।
  • यह सर्वाधिक जनसंख्या, जनसंख्या घनत्व एवं सर्वाधिक साक्षरता वाला क्षेत्र है। महानदी की सहायक नदीयाँ सहित हसदो, माण्ड, शिवनाथ, तेल, बोरई, पैरो, जोंक, ईब, केलो, लात, ब्राम्हणी, सुरंगी इस बेसिन में बहने वाली प्रमुख नदीयाँ है। बाॅक्साइट, डोलोमाइट, लोहा, कोयला, हीरा, चूना प्रमुख खनिज है।

प्राकृतिक उप विभाजन –

  • पठार– पेण्ड्रा लोरमी का पठार
  • बेसिन–  रायगढ़ बेसिन, कोरबा बेसिन,
  • मैदान– बिलासपुर रायगढ़ का मैदान, दुर्ग रायपुर का मैदान
  • उच्च भूमि– धमतरी महासमुंद उच्च भूमि, दुर्ग सीमान्त उच्च भूमि
  • पर्वत– पश्चिम में मैकल श्रेणी
  • प्रमुख खनिज– चूना chhattisgarh nature basin gk
  • सबसे कम वर्षा वाला क्षेत्र– कवर्धा (वृष्टिछाया प्रदेश)
  • सबसे गर्म स्थल– चांपा

महानदी बेसिन के पूर्वी-पश्चिमी छोर उठी होने के कारण इन्हें ‘03 सीमान्त भूमिओं’ में बांटा गया हैः-

  • पूर्वी सीमान्त भूमियह क्षेत्र शिशुपाल पर्वत का विस्तार है। जिसकी सबसे ऊँची चोटी धारीडोंगर (899मी.) है। इस क्षेत्र के अंतर्गत छ0ग0 के तीन जिले रायगढ़, महासमुंद व गरियाबंद आते हैं।
  • पश्चिम सीमान्त भूमि यह मैकाल श्रेणी का विस्तार है। इसकी सबसे ऊँची बदरगढ़ (1176मी.) है। इस भू-भाग के अंतर्गत  छ.ग. के तीन जिले मुंगेली, कवर्धा एवं राजनांदगांव आते है।
  • दक्षिण-पश्चिम सीमान्त भूमि यह छ.ग. के मैदान का दक्षिण-पश्चिम भाग है जिसके अंतर्गत मुख्य रूप से दुर्ग, बालोद, कुछ राजनांदगांव क्षेत्र है। इस भूमि में दल्ली राजहरा, बालोद व डोंगरगढ़ की पहाड़ियाँ शामिल है।

बस्तर या दण्डकारण्य का पठार | Bastar Plateau

छत्तीसगढ़ का यह प्राकृतिक दक्षिणी प्रदेश राज्य का खनिज संसाधन एवं जनजाति बाहुल्य (जनजातीय बाहुल्य, विरल, जनसंख्या एवं कम साक्षरता वाला क्षेत्र) से सम्पन्न है।

  • बस्तर या दण्डकारण्य का पठार (Bastar Plateau), जिसका कुल क्षेत्रफल 39,060 वर्ग कि.मी. है, जो छ.ग. का 28.91 प्रतिशत है।
  • इस पठार का फैलाव बस्तर संभाग के सभी जिलों जैसे – दन्तेवाड़ा, कांकेर, जगदलपुर, राजनांदगांव एवं बीजापुर (विस्तार 17⁰46‘ से 20⁰34‘ उत्तरी अक्षांश एवं 80⁰18‘ से 82⁰15‘ पूर्वी देशान्तर) में है। मुख्यतः पठारीय ढ़ाल पश्चिम से दक्षिण की ओर है।
  • इन्द्रावती, सबरी, कोटरी, डंकिनी, शंखिनी, नारंगी, गुदरा, नंदीराज यहाँ की बहने वाली प्रमुख नदीयाँ है। यह गोदावरी नदी अपवाह तंत्र का भाग है एवं ‘इन्द्रावती नदी’ दण्डकारण्य पठार के ‘उत्तर-दक्षिण विभाजक’ के नाम से जाना जाता है।
  • इसकी भू-गर्भिक बनावट आर्कियन युग के शैल तथा धारवाड़ शैल समूह में शामिल है।
  • वन बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण साल वनों का द्वीप नाम से जानते है। लाल रेतीली मिट्टी होने से प्रमुख फसल धान, ज्वर, कोदो, रागी, मोटे अनाज है।
  • सबसे ऊँची चोटी नंदीराज (1210 मी.) दन्तेवाड़ा जिले के बैलाडीला स्थित क्षेत्र। ‘लौह अयस्क’ पाये जाने वाला प्रमुख क्षेत्र है।

प्राकृतिक उप विभाजन –

  • पठार– बस्तर का पठार (कोण्डागांव, कांकेर)
  • बेसिन– इन्द्रावती बेसिन (बस्तर), कोटरी बेसिन (कांकेर, राजनांदगांव)
  • मैदान– बस्तर का मैदान (बीजापुर, सुकुमा)
  • उच्च भूमि– बीजापुर उच्च भूमि
  • पहाड़ी क्षेत्र– अबुझमाड़ की पहाड़ी (नारायणपुर), बैलाडीला की पहाड़ी (दन्तेवाड़ा)
  • यह क्षेत्र ‘खनिज का भण्डार’ कहलाता है।
  • छ.ग. का दक्षिणतम भाग है।
  • इसे साल वनों का द्वीप कहा जाता है।
  • गोंड़ों की भूमि कहलाती है। chhattisgarh nature basin gk
  • ऊंची चोटी– बैलाडीला, नंदीराज (ऊंचाई 1210 मी.)
  • सर्वाधिक वर्षा– अबुझमाड़ क्षेत्र
  • खनिजलोहा (बैलाडीला), रावांघाट (राजनांदगांव), चारगांव (कांकेर)
  • हीरा क्षेत्र तोकापाल (बस्तर)
  • टिन क्षेत्र दन्तेवाड़ा, मुण्डपाल, गोंविंदपाल,  चित्तलपाल, गोलापाल

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