प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंश और शासक

यहां आपको प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले प्राचीन भारत के प्रमुख राजवंश एवं उनके शासक कार्यकाल (Indian Dynasties History in Hindi) के बारे में जानकारी दी गई है। जैसे- प्राचीन भारतीय इतिहास (Ancient Indian History) के माध्यम से भारत में कई राजवंशों (Indian Dynasties) और राज्यों को विभिन्न अवसरों पर उठते और गिरते देखा है।

विभिन्न महान राजवंशों (Indian Manor Dynasties) और उनके सभ्यताओं ने अपने नाम भारतीय इतिहास (Indian History) में लिखे हैं। भारत के कुछ महत्वपूर्ण राजवंश एवं उनके कार्यकाल (Major Dynasties of India Periods) इस प्रकार है।

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Ancient Indian Dynasties history in Hindi – Indian Dynasties in Hindi

भारत का इतिहास संबंधी प्रमुख वंश एवं शासक (Indian Dynasties History) उनके कार्यकाल की सूची

राजवंशकार्यकालराजवंशकार्यकाल
मौर्य वंश300-184लोधी राजवंश1451-1526
चंद्रगुप्त मौर्य324-300इब्राहिम लोधी1517-1526
सम्राट अशोक273-236मुगल शासक1526-1857
कुषाण वंश40-176बाबर1526-1530
कनिष्क78-101 या 102अकबर1556-1605
गुप्त वंश320-550जहाँगीर1605-1627
वर्धन या पुष्यभूति वंश560-647शाहजहाँ1627-1659
गजनी वंश962-1116औरंगजेब1659-1707
महमूद गजनी997-1030सूरी वंश1540-1555
मोहम्मद गोरी1186-1206शेरशाह सूरी1540-1545
गुलाम वंश1206-1290मराठा1649-1818
कुतुबुद्दीन ऐबक1206-1210पेशवा1708-1818
खिलजी वंश1290-1320चालुक्य वंश543-1156
अला-उद-दीन खिलजी1296-1316चोल राजवंश301-1279
तुगलक वंश1320-1414बहमनी मुस्लिम साम्राज्य1346-1526
मोहम्मद तुगलक1325-1351विजयनगर साम्राज्य1336-1565

प्राचीन भारतीय इतिहास में भारत पर कई राजवंशों/सम्राट ने शासन/अधिपत्य किया था। इन प्रमुख राजवंश का नाम और कार्यकाल (Periods of Dynasties History in India) संबंधी जानकारी निम्नानुसार है-

प्राचीन भारत के हर्यंक वंश का कार्यकाल 544 ई.पू. – 412 ई.पू. तक माना जाता है। हर्यंक वंश के शासकों की जानकारी निम्नानुसार है:-

  • बिम्बिसार (544-492) हर्यंक वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक था। इनकी राजधानी गिरिव्रज (राजगृह) था।
  • बिम्बिसार के पुत्र अजातशत्रु (492-460) ने उसकी हत्या कर सिंहासन प्राप्त किया।
  • अजातशत्रु बौद्ध धर्म का अनुयायी था एवं उसकी राजधानी राजगीर में प्रथम बौद्ध महासभा हुई।
  • पाटलिपुत्र (वर्तमान पटना) की स्थापना का श्रेय उदायिन को जाता है।

प्राचीन भारत के नंद वंश का कार्यकाल 344 ई.पू.- 322 ई.पू. तक माना जाता है। नंद वंश के शासकों की जानकारी निम्नानुसार है:-

  • नंद वंश का अंतिम शासक धनानंद था। इसके शासन काल में सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया।
  • सिकंदर (मकदूनिया के शासक फिलिप का पुत्र) ने 326 ई.पू. में भारत पर आक्रमण किया। पंजाब के राजा पोरस ने सिकंदर के साथ झेलम नदी के किनारे हाइडेस्पीज का युद्ध (वितस्ता का युद्ध) लड़ा, परन्तु हार गया।
  • वह भारत भूमि छोड़कर बेबीलोन चला गया, जहां 323 ई.पू. में उसकी मृत्यु हो गयी।

प्राचीन भारत के मौर्य वंश का कार्यकाल 322 ई.पू.-184 ई.पू. माना जाता है। मौर्य वंश के शासकों की जानकारी निम्नानुसार है:-

  • चन्द्रगुप्त मौर्य चाणक्य की सहायता से अंतिम नंदवंशीय शासक धनानंद को पराजित कर 25 वर्ष की आयु में (322 ई.पू.) मगध के सिंहासन पर बैठकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना की।
  • सेल्यूकस ने मेगस्थनीज को अपने राजदूत के रूप में चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा।
  • कलिंग राज्याभिषेक के आठवें वर्ष अर्थात् 261 ई.पू. में अशोक ने कलिंग पर आक्रमण किया और उसे जीत लिया।
  • अशोक ने सांची स्तूप का निर्माण भी किया।
  • सबसे पहले आक्रमणकारी बैक्ट्रिया के ग्रीक (यूनानी) थे, जिन्हें ‘यवन‘ के नाम से जाना जाता था।
  • इन्होंने भारत में सर्वप्रथम ‘सोने की सिक्के‘ चलाया। Indian Dynasties
  • कनिष्क कुषाण वंश का सबसे प्रतापी शासक था। कनिष्क ने 78 ई. में शक सवत् प्रचलित किया था।
  • कनिष्क ने बौद्ध धर्म को संरक्षण प्रदान किया था, इसके समय में कश्मीर के कुण्डल वन में वसुमित्र की अध्यक्षता में चतुर्थ बौद्ध संगीति आयोजित की गई थी। कनिष्क के शासनकाल में बौद्ध प्रतिमा की पूजा (महायान शाखा) आंरभ हुई।

प्राचीन भारत के गुप्त वंश का कार्यकाल 275 ई.पू.-570 ई.पू. माना जाता है। गुप्त वंश के शासकों की जानकारी निम्नानुसार है:-

  • चंद्रगुप्त प्रथम ने 319-20 ई. में ‘गुप्त संवत्‘ प्रारंभ किया। इसने ‘महाराजाधिराज‘ की उपाधि धारण की।
  • समुद्रगुप्त पर प्रकाश डालने वाली अत्यंत प्रामाणिक सामग्री ‘प्रयाग प्रशस्ति‘ के रूप में उपलब्ध है।
  • समुद्रगुप्त द्वितीय का काल साहित्य और कला का स्वर्ण युग कहा जाता है।
  • चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में विद्वानों एवं कलाकारों को आश्रय प्राप्त था। उसके दरबार में नौ रत्न थे।
  • चंद्रगुप्त द्वितीय ने शकों को पराजित कर ‘विक्रमादित्य‘ की उपाधि धारण की थी।
  • चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में चीनी यात्री ‘फाह्यान (399 ई.-412 ई.)‘ भारत यात्रा पर आया था।

प्राचीन भारत के वर्द्धन या वर्धन वंश का कार्यकाल 275 ई.पू.-570 ई.पू. माना जाता है। जिसे ‘पुष्यभूति वंश’ भी कहा जाता है। वर्द्धन या वर्धन वंश (पुष्यभूति वंश) के शासकों की जानकारी निम्नानुसार है:-

  • हर्ष ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कन्नौज स्थानांतरित की।
  • दक्षिण में उसकी सेनाओं को 620ई. में चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय ने नर्मदा के तट के पीछे खदेड़ दिया था।
  • उसने संस्कृत में ‘नागनंद, रत्नावली तथा प्रियदर्शिका‘ नामक नाटकों की रचना की थी।
  • इसने कादम्बरी और हर्षचरित के रचयिता ‘बाणभट्ट‘ और चीनी विद्वान ‘हेनसांग (सी-यू-की का रचयिता) को आश्रय प्रदान किया था।

भारत के आधुनिक इतिहास का कार्यकाल

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  1. सभी राजाओं की जानकारी एक साथ मिल गई। आप ऐसे ही general knowledge की जानकारी देते रहें।